अनोखी चिड़िया - Anokhi Chidiya
गाँव के किनारे एक घना बरगद का पेड़ था, और उसके नीचे फैला एक छोटा सा तालाब। इस तालाब के आसपास हर दिन चिड़ियों का मेला लगता था। हर चिड़िया अपनी तरह से खास थी, लेकिन एक चिड़िया ऐसी थी जिसे सबने "अनोखी चिड़िया" कहना शुरू कर दिया। उसकी खासियत सिर्फ उसकी सुंदरता में नहीं, बल्कि उसकी बुद्धिमानी और दयालुता में थी।

यह "अनोखी चिड़िया" जिसका नाम अनु था, अपने सुनहरे पंखों और इंद्रधनुषी आभा के कारण सबसे अलग दिखती थी। बच्चे उसकी ओर इशारा करते हुए खुश हो जाते, और बुजुर्ग उसकी तारीफों के पुल बांधते। लेकिन उसकी पहचान उसकी सुंदरता तक सीमित नहीं थी। अनु में कुछ खास था, जो उसे सचमुच "अनोखी चिड़िया" बनाता था।
एक दिन गाँव में सूखा पड़ गया। तालाब का पानी सूखने लगा, और चिड़ियों को पीने के लिए पानी मिलना मुश्किल हो गया। यह स्थिति सबके लिए चिंता का विषय बन गई। तभी "अनोखी चिड़िया" ने अपनी समझदारी और मेहनत का परिचय दिया। वह उड़कर दूर नदी तक गई और अपने पंखों में पानी भरकर तालाब में डालने लगी।
धीरे-धीरे उसकी इस कोशिश में बाकी चिड़ियाँ भी जुड़ गईं। "अनोखी चिड़िया" की मेहनत और नेतृत्व से तालाब में पानी फिर से भर गया। गाँव के लोग और अन्य चिड़ियाँ उसकी इस पहल से बेहद प्रभावित हुए। अब वह केवल अपनी सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि अपनी नेकदिली और कोशिशों के लिए जानी जाने लगी।
इस तरह "अनोखी चिड़िया" ने सभी को यह सिखाया कि छोटी-छोटी कोशिशें भी बड़े बदलाव ला सकती हैं। वह चिड़िया गाँव और चिड़ियों के बीच मिसाल बन गई।
हर कोई "अनोखी चिड़िया" की तरह कुछ ऐसा कर सकता है, जो उसे दूसरों के लिए प्रेरणा बना दे। तो, क्या आप भी किसी "अनोखी चिड़िया" को जानते हैं या खुद बनना चाहते हैं? यह कहानी हमें सिखाती है कि हर कोई अपनी जगह पर खास हो सकता है।
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