चतुर खरगोश - Chatur Khargosh
एक हरे-भरे जंगल में कई जानवर रहते थे, जिनमें से एक था एक छोटा सा और चतुर खरगोश जिसका नाम था चिंकी। चिंकी हमेशा अपनी बुद्धिमानी से जंगल में होने वाली घटनाओं का समाधान ढूंढ लेता था। उसे हर किसी से मदद लेने की बजाय अपनी सोच और समझ का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद था। उसका एक खास गुण था कि वह किसी भी समस्या का हल अपनी चतुराई से निकाल सकता था।

जंगल में हुआ विवाद
एक दिन जंगल में एक बड़ा विवाद हुआ। जंगल के राजा, शेर राजा, ने सभी जानवरों को आदेश दिया कि वे अपना शिकार करने के लिए एक निर्धारित क्षेत्र में जाएं, ताकि सबको पर्याप्त भोजन मिल सके। लेकिन यह आदेश कुछ जानवरों को पसंद नहीं आया। उनमें से एक था एक तेज़ और शक्तिशाली भालू, जो अपनी ताकत के घमंड में था। भालू ने शेर राजा से कहा, "मैं अपनी मर्जी से शिकार करूंगा, और तुम मुझे रोक नहीं सकते।"
यह सुनकर शेर राजा बहुत गुस्से में आ गए, लेकिन उनका घमंड और अहंकार उन्हें किसी तरह की चर्चा करने से रोकता था। जंगल के बाकी जानवर डर के मारे कुछ भी नहीं कह पा रहे थे। इसी बीच, चिंकी खरगोश ने यह स्थिति देखी और वह जानता था कि इस विवाद को सुलझाना जरूरी है।
चिंकी का चतुर तरीका
चिंकी ने भालू से सीधे सामना नहीं किया, क्योंकि वह जानता था कि भालू को सीधे चुनौती देना एक खतरनाक कदम हो सकता है। इसके बजाय, उसने अपनी चतुराई का इस्तेमाल किया। वह भालू के पास गया और बोला, "भालू भाई, तुम तो बहुत ताकतवर हो, लेकिन मैं जानता हूं कि तुम्हें एक चुनौती चाहिए। तुम कह रहे थे कि तुम अपनी मर्जी से शिकार करोगे, तो मैं तुम्हारे लिए एक चुनौती लेकर आया हूं।"
भालू ने पूछा, "क्या चुनौती है?"
चिंकी मुस्कुराते हुए बोला, "अगर तुम मुझसे जीत सकते हो, तो तुम शिकार कहीं भी कर सकते हो। लेकिन अगर मैं जीत गया, तो तुम्हें शेर राजा के आदेश का पालन करना होगा।"
भालू ने हंसी में कहा, "तुम तो छोटे से खरगोश हो, मुझे तुम्हारे साथ चुनौती क्यों स्वीकार करनी चाहिए?" लेकिन उसकी इस बात को चिंकी ने नजरअंदाज किया और कहा, "अगर तुम मुझसे नहीं लड़ सकते, तो क्या तुम सच में इतने बड़े हो?"
भालू ने गुस्से में आकर चुनौती स्वीकार कर ली।
चुनौती की शुरुआत
चिंकी ने भालू को एक दौड़ की चुनौती दी। दौड़ के रास्ते के बारे में उसने भालू से कहा कि वह जंगल के सबसे बड़े पेड़ तक दौड़ेगा। भालू अपनी ताकत पर बहुत गर्व करता था, इसलिए वह समझा कि यह दौड़ उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी। दौड़ शुरू हुई और भालू तेज़ी से दौड़ने लगा, जबकि चिंकी धीरे-धीरे अपने रास्ते पर चला।
जब भालू आधे रास्ते तक पहुंचा, तो चिंकी ने एक चतुर चाल चली। उसने जंगल के घने हिस्से में एक छोटा सा रास्ता बना लिया, जिससे वह भालू से पहले उस पेड़ तक पहुंच सकता था। भालू इस बात से अनजान था और वह दौड़ते हुए बस अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहा था।
चिंकी की जीत
जब भालू पेड़ के पास पहुंचा, तो वह हैरान रह गया। उसे देखा कि चिंकी पहले ही वहां पहुंच चुका था। भालू को समझ में आ गया कि उसकी ताकत ही सब कुछ नहीं है, बल्कि समझदारी और चतुराई भी बहुत मायने रखती है। चिंकी ने उसे अपनी चतुराई से हराया और भालू को शेर राजा के आदेश का पालन करने के लिए मजबूर कर दिया।
संदेश
"चतुर खरगोश - Chatur Khargosh" हमें यह सिखाती है कि कभी भी हमें अपनी ताकत से ज्यादा अपनी बुद्धि और समझदारी पर भरोसा करना चाहिए। सिर्फ ताकत से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि सही वक्त पर सही कदम उठाना जरूरी होता है। चिंकी ने यह साबित किया कि चतुराई और समझदारी से बड़े से बड़े संघर्ष को भी जीता जा सकता है।
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