आलसी लड़के की सीख - Aalsi Ladke Ki Seekh
गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम राजू था। राजू का नाम हमेशा आलसी लड़के के रूप में लिया जाता था। वह स्कूल में भी ध्यान से पढ़ाई नहीं करता था और घर के कामों में भी भाग नहीं लेता था। हमेशा खेलता रहता या फिर सोने की बहाने बनाता। उसकी मां उसे अक्सर कहती, "राजू, अगर तुम मेहनत नहीं करोगे तो कुछ भी हासिल नहीं कर पाओगे।" लेकिन राजू को यह बातें मजाक ही लगतीं।

एक दिन गाँव में एक बड़ा मेले का आयोजन हुआ। मेले में कई तरह के खेल और प्रतियोगिताएँ होतीं। राजू का दिल हर बार यह सोचकर दुखता था कि अगर वह मेहनत करता तो वह भी इन प्रतियोगिताओं में भाग ले सकता था और जीत सकता था। लेकिन आलस्य के कारण वह कभी भी अपने सपनों की ओर कदम नहीं बढ़ाता था।
इस बार मेले में एक खास प्रतियोगिता आयोजित की गई थी – दौड़। उस दौड़ में जीतने वाले को बहुत बड़ा इनाम मिलने वाला था। राजू ने सोचा कि इस बार उसे भाग लेना चाहिए। लेकिन वह जानता था कि उसे दौड़ में जीतने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
राजू ने अपनी आलस्य की आदत को छोड़ने का फैसला किया और दौड़ के लिए कड़ी मेहनत शुरू की। रोज सुबह जल्दी उठकर दौड़ने की प्रैक्टिस करने लगा। शुरुआत में बहुत कठिनाई आई, लेकिन धीरे-धीरे उसकी गति बढ़ने लगी। उसकी मां और गाँववाले उसे देखकर हैरान थे कि आलसी लड़का अब इतनी मेहनत कर रहा था।
मेले के दिन राजू दौड़ में भाग लेने गया। प्रतियोगिता में वह पहले नहीं था, लेकिन उसने पूरी ताकत और मेहनत लगाई। वह अंत में दूसरे स्थान पर आया और उसे बहुत बड़ा पुरस्कार मिला।
उस दिन के बाद राजू ने महसूस किया कि अगर उसे किसी चीज में सफलता प्राप्त करनी है, तो आलस्य को छोड़कर मेहनत करनी होगी। अब वह स्कूल में भी अच्छे अंक लाने के लिए मेहनत करने लगा, और घर के कामों में भी भाग लेने लगा।
राजू की कहानी हमें यह सिखाती है कि आलस्य से कभी भी सफलता नहीं मिलती। मेहनत और समर्पण से ही हम अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। "आलसी लड़के की सीख - Aalsi Ladke Ki Seekh" यही है कि आलस्य को छोड़कर अगर हम अपने प्रयासों पर ध्यान दें, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।
तो, क्या आप भी राजू की तरह अपनी आलस्य की आदत को छोड़कर मेहनत की राह पर चलने के लिए तैयार हैं?
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