गाय और छोटे बच्चे की मदद - Gaay Aur Chhote Bachche Ki Madad
एक छोटे से गांव में एक बूढ़े किसान के पास गौरी नाम की एक गाय थी। गौरी गांव में हर किसी की प्रिय थी, क्योंकि वह शांत और दयालु स्वभाव की थी। किसान उसे अपने परिवार का हिस्सा मानता था और उसकी देखभाल दिल से करता था।

गांव में रामू नाम का एक बच्चा रहता था, जो अपनी मां के साथ रहता था। रामू के पिता का देहांत हो चुका था, और उनकी मां सिलाई करके घर का खर्चा चलाती थीं। रामू के पास ज्यादा खिलौने या साधन नहीं थे, लेकिन वह हमेशा खुश और संतुष्ट रहता।
रामू और गौरी की दोस्ती
रामू को गौरी से बहुत लगाव था। हर सुबह वह गौरी को देखने किसान के घर जाता, उसके लिए ताजी घास लाता और उसके साथ खेलता। गौरी भी रामू को बहुत पसंद करती थी। वह उसकी आवाज़ पहचानती और जैसे ही रामू आता, प्यार से उसकी ओर देखती।
गौरी और रामू की यह दोस्ती पूरे गांव में मशहूर थी। लोग कहते थे, "गौरी और रामू जैसे सच्चे साथी बहुत कम देखने को मिलते हैं।"
मुसीबत का दिन
एक दिन रामू गांव के बाहर खेलते-खेलते जंगल के पास चला गया। वहां खेलते हुए वह एक गड्ढे में गिर गया। गड्ढा गहरा था, और रामू ऊपर चढ़ने की कोशिश करता, लेकिन बार-बार फिसल जाता। वह घबराया और जोर से मदद के लिए चिल्लाने लगा।
गौरी, जो पास के खेत में थी, रामू की आवाज़ सुनते ही सतर्क हो गई। उसने तुरंत अपनी चौकस निगाहों से इधर-उधर देखा और आवाज़ की दिशा में दौड़ पड़ी।
गौरी की समझदारी
गौरी रामू को गड्ढे में फंसा हुआ देखकर तुरंत समझ गई कि कुछ करना होगा। उसने गांव की ओर भागकर जोर-जोर से आवाजें निकालनी शुरू कर दीं। किसान और गांववाले गौरी के इस व्यवहार को देखकर चौंक गए। किसान ने कहा, "गौरी कुछ कहना चाह रही है। हमें उसका पीछा करना चाहिए।"
गौरी गांववालों को रामू तक ले गई। सभी ने मिलकर रामू को गड्ढे से बाहर निकाला। रामू की मां ने गौरी को गले लगाते हुए कहा, "अगर आज गौरी न होती, तो मेरा रामू शायद सुरक्षित नहीं होता।"
गांववालों की प्रशंसा
गांव के लोग गौरी की समझदारी और दया के लिए उसकी खूब प्रशंसा करने लगे। उन्होंने उसे "गांव की रक्षक" का नाम दिया। किसान ने गर्व से कहा, "गौरी सिर्फ एक जानवर नहीं है, वह हमारे परिवार की सदस्य है।"
कहानी से सीख
"गाय और छोटे बच्चे की मदद - Gaay Aur Chhote Bachche Ki Madad" हमें यह सिखाती है कि पशु भी इंसानों के प्रति दया और समझदारी दिखा सकते हैं। गौरी की वफादारी और सूझबूझ ने रामू की जान बचाई।
इस कहानी से यह भी सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती न जाति देखती है, न भाषा। यह बस भावनाओं और भरोसे का रिश्ता होता है। इसलिए, हमें जानवरों से प्यार करना चाहिए और उनकी अहमियत समझनी चाहिए।
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