गधे की बुद्धिमानी - Gadhe Ki Buddhimani
एक गाँव में एक धोबी रहता था, जिसका नाम रघु था। रघु के पास एक गधा था, जिसका नाम था मोती। मोती बहुत मेहनती था और हर दिन रघु का भारी-भरकम सामान ढोता था। लेकिन रघु उसे कभी प्यार से नहीं देखता था। उसे लगता था कि गधा सिर्फ एक साधारण जानवर है और उसमें बुद्धिमानी की कोई बात नहीं।

जंगल की ओर यात्रा
एक दिन रघु ने गाँव के पास के जंगल से लकड़ियाँ लाने की सोची। वह मोती को लेकर जंगल की ओर चला। जंगल में पहुँचकर उसने बहुत सारी लकड़ियाँ काटी और मोती की पीठ पर लाद दीं। लकड़ियाँ इतनी भारी थीं कि मोती को चलने में मुश्किल हो रही थी। लेकिन वह बिना शिकायत किए अपने मालिक की मदद कर रहा था।
जंगल से लौटते समय रघु ने देखा कि एक शेर उनकी तरफ आ रहा है। शेर को देखकर रघु डर गया। उसने सोचा, "अगर शेर ने हमला किया, तो मैं और मोती दोनों मारे जाएंगे।" डर के मारे रघु पास के एक पेड़ पर चढ़ गया और मोती को वहीं छोड़ दिया।
गधे की सूझबूझ
मोती ने देखा कि शेर उसकी ओर बढ़ रहा है। पहले तो वह भी डर गया, लेकिन फिर उसने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने की सोची। उसने शेर के करीब आते ही ज़ोर-ज़ोर से रेंकना शुरू कर दिया और ऐसी अजीब हरकतें करने लगा, जैसे वह पागल हो।
शेर ने मोती को ध्यान से देखा और सोचा, "यह गधा कुछ ठीक नहीं लग रहा। अगर मैं इसे खाऊँगा, तो कहीं मुझे भी कोई बीमारी न हो जाए।" यह सोचकर शेर डर गया और वहाँ से चला गया।
रघु का पछतावा
जब शेर चला गया, तो रघु पेड़ से नीचे उतरा और मोती के पास आया। उसने महसूस किया कि मोती की बुद्धिमानी ने उसकी जान बचाई। उसने मोती को गले लगाते हुए कहा, "आज मैंने समझा कि हर प्राणी में कुछ न कुछ खास होता है। तुमने अपनी समझदारी से न केवल अपनी, बल्कि मेरी जान भी बचा ली।"
कहानी से सीख
"गधे की बुद्धिमानी - Gadhe Ki Buddhimani" हमें यह सिखाती है कि किसी को भी उसकी बाहरी बनावट या क्षमता से नहीं आंकना चाहिए। हर किसी में बुद्धिमानी और खासियत होती है, बस हमें उसे समझने और पहचानने की जरूरत होती है।
तो, हर प्राणी की काबिलियत को सम्मान दें, चाहे वह कितना ही साधारण क्यों न दिखे। कभी-कभी बुद्धिमानी सबसे अनपेक्षित जगहों से सामने आती है।
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