गांव का ईमानदार बच्चा - Gaav Ka Imaandar Bachcha
बहुत समय पहले की बात है, हरियाणा के एक छोटे से गांव पिंदारा में रोहन नाम का एक बच्चा रहता था। रोहन का स्वभाव बेहद सरल और सच्चा था। गांव के लोग उसकी ईमानदारी की मिसाल देते थे। वह गरीब परिवार से था, लेकिन उसने कभी अपने मूल्यों और संस्कारों से समझौता नहीं किया।

ईमानदारी का पहला सबक
रोहन रोज़ स्कूल जाते वक्त गांव के पास बहने वाली नदी के किनारे बैठकर पढ़ाई करता था। एक दिन रास्ते में उसे एक चमचमाती हुई सोने की अंगूठी पड़ी मिली। अंगूठी देखकर वह हैरान रह गया। वह सोचने लगा, "यह अंगूठी किसी की होगी और उसे इसे खोने का बहुत दुख हो रहा होगा।"
रोहन अंगूठी लेकर सीधा अपने गांव के मुखिया के पास पहुंचा और सारी बात बताई। मुखिया ने उसकी ईमानदारी की तारीफ की और गांव में घोषणा करवाई कि जिसने भी अंगूठी खोई हो, वह आकर उसे ले सकता है। कुछ ही समय बाद एक बुजुर्ग किसान आया और बताया कि वह अंगूठी उसकी है।
रोहन ने तुरंत अंगूठी उसे लौटा दी। किसान ने खुशी-खुशी रोहन को इनाम देने की कोशिश की, लेकिन रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह तो मेरा फर्ज़ था। मुझे इनाम की कोई ज़रूरत नहीं है।"
गांववालों के बीच चर्चा
रोहन की ईमानदारी की बात पूरे गांव में फैल गई। हर कोई उसकी प्रशंसा करने लगा। गांव के बुजुर्गों ने कहा, "आज के समय में ऐसे संस्कार वाले बच्चे कम ही मिलते हैं। रोहन ने साबित कर दिया कि ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है।"
परीक्षा में ईमानदारी का सबूत
कुछ महीनों बाद, रोहन के स्कूल में परीक्षा का समय आया। परीक्षा के दौरान एक छात्र ने उसे नकल करने के लिए कहा। रोहन ने उसे मना करते हुए कहा, "ईमानदारी से पास होना ज्यादा जरूरी है। नकल करके हासिल की गई सफलता का कोई मूल्य नहीं होता।"
रोहन ने अपनी मेहनत और सच्चाई से परीक्षा पास की और पूरे गांव का मान बढ़ाया। उसकी ईमानदारी और कड़ी मेहनत ने उसे सबका प्रिय बना दिया।
कहानी से सीख
"गांव का ईमानदार बच्चा - Gaav Ka Imaandar Bachcha" हमें यह सिखाती है कि ईमानदारी और सच्चाई का रास्ता कभी आसान नहीं होता, लेकिन यह हमेशा सम्मान और सफलता दिलाता है। रोहन ने दिखा दिया कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, सच्चाई और ईमानदारी से बढ़कर कुछ नहीं।
तो, अपने जीवन में ईमानदारी को अपनाएं, क्योंकि यही वह गुण है जो आपको दूसरों से अलग और खास बनाता है।
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