Saturday, June 7, 2025

अनकही मोहब्बत (Ankahi Mohabbat - Untold Love)

अनकही मोहब्बत (Ankahi Mohabbat - Untold Love)

एक समझौते से शुरू हुई प्रेम कहानी

रिया की ज़िंदगी एक सुनियोजित स्क्रिप्ट थी। बचपन से ही उसे सिखाया गया था कि 'सही' क्या है और 'गलत' क्या। 'सही' था बड़े-बुजुर्गों का सम्मान, समाज के नियमों का पालन, और 'गलत' था उन बंधनों से बाहर निकलना। जब उसके दादाजी ने उसे बताया कि उसकी शादी वरुण राय से तय हो चुकी है, तो रिया ने सवाल नहीं उठाया। वरुण एक प्रतिष्ठित परिवार का इकलौता बेटा था, पढ़ा-लिखा, सभ्य और दिखने में भी अच्छा। दिक्कत यह थी कि यह एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज थी। वरुण को अपने परिवार की पुश्तैनी संपत्ति बचाने के लिए छह महीने के भीतर शादी करनी थी, वरना वह उसे खो देता। रिया के परिवार को एक बड़े बिज़नेस डील में वरुण के परिवार की मदद चाहिए थी, और यह मदद शादी की शर्त पर ही मिल सकती थी।

"यह एक समझौता है, रिया। हम दोनों जानते हैं," वरुण ने सगाई के ठीक बाद एक कैफे में उससे कहा था। उसकी आवाज़ में कोई भावना नहीं थी, बस एक व्यावसायिक स्पष्टता थी। "हमें बस छह महीने के लिए पति-पत्नी का नाटक करना है। उसके बाद, हम अपने रास्ते अलग कर लेंगे। तुम आज़ाद हो जाओगी, और मुझे मेरी संपत्ति मिल जाएगी।"

रिया ने बस सिर हिलाया। उसे लगा जैसे उसके दिल पर एक पत्थर रख दिया गया हो। प्यार, शादी, रिश्ते - इन सब के बारे में उसने जो भी सपने देखे थे, वे सब पल भर में टूट गए थे। यह उसके लिए अनकही मोहब्बत की शुरुआत थी, जो कभी कही ही नहीं जानी थी।

शादी शानदार हुई, समाज के सामने वे एक आदर्श जोड़े थे। लेकिन बंद दरवाज़ों के पीछे, वे दो अजनबी थे। उनका कमरा अलग था, उनकी बातें भी काम तक ही सीमित थीं। रिया ने खुद को वरुण के परिवार के साथ घुलने-मिलने में व्यस्त रखा। वरुण के दादाजी बहुत बीमार रहते थे, और रिया ने उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। वरुण की माँ, एक सख्त लेकिन दयालु महिला, रिया के समर्पण से बहुत प्रभावित हुईं।

समय धीरे-धीरे बीत रहा था। रिया ने देखा कि वरुण जितना रूखा और कठोर ऊपर से दिखता था, उतना ही अंदर से संवेदनशील था। उसने देखा कि वह अपने दादाजी के साथ कितना प्यार से पेश आता था, और कैसे अपने कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से सुनता था। एक दिन, रिया ने देखा कि वरुण देर रात तक काम कर रहा था, अपने कंप्यूटर पर कुछ देखता हुआ। पास जाने पर उसे पता चला कि वह अपने चैरिटी प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग जुटाने की कोशिश कर रहा था – एक ऐसा प्रोजेक्ट जो गाँव के बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए था।

"यह सब क्या है?" रिया ने पूछा था।

वरुण चौंका, जैसे उसे उम्मीद नहीं थी कि कोई उसे ऐसे देखेगा। "कुछ नहीं, बस एक पुराना प्रोजेक्ट है।"

"मैंने सोचा था कि तुम सिर्फ़ बिज़नेस और संपत्ति के बारे में सोचते हो," रिया ने कहा।

वरुण ने एक लंबी साँस ली। "ज़रूरी नहीं कि जो दिखे, वही सच हो, रिया।"

इस घटना के बाद, रिया ने वरुण को अलग नज़रिए से देखना शुरू किया। वह उसके अंदर की अच्छाई को महसूस करने लगी थी, जिसे वरुण ने दुनिया से छिपा रखा था। वे अब छोटी-मोटी बातें साझा करने लगे थे – दिन भर की बातें, किताबों पर चर्चा, और कभी-कभी बचपन की यादें। वरुण ने भी रिया की सादगी और उसके दयालु स्वभाव को महसूस करना शुरू किया। उसे एहसास हुआ कि रिया सिर्फ़ एक समझौता नहीं, बल्कि एक अच्छी इंसान थी।

एक शाम, वरुण अपने दादाजी से बात कर रहा था। दादाजी, जो अब काफी कमज़ोर हो चुके थे, ने वरुण से कहा, "तुम और रिया बहुत अच्छे लगते हो साथ में। मुझे खुशी है कि तुमने शादी कर ली।" वरुण ने बस मुस्कुरा दिया, लेकिन रिया, जो पास ही खड़ी थी, ने देखा कि वरुण की आँखों में एक पल के लिए उदासी थी।

एक हफ्ते बाद, वरुण के दादाजी का देहांत हो गया। यह वरुण के लिए एक बड़ा सदमा था। वह अपने दादाजी से बहुत जुड़ा हुआ था। रिया ने उसे संभाला। वह उसके साथ चुपचाप बैठी रही, उसे दिलासा देती रही। उस दुख के पल में, उनके बीच की सारी दीवारें गिर गईं। वरुण ने रिया के कंधे पर सिर रखा और पहली बार उसके सामने खुद को कमज़ोर महसूस किया। रिया ने उसे कसकर पकड़ लिया, और उसे एहसास हुआ कि वह वरुण से प्यार करने लगी थी। यह एक अनकही मोहब्बत थी, जो चुपचाप उसके दिल में पनप रही थी।

छह महीने पूरे होने में अब कुछ ही दिन बचे थे। वरुण को अपनी संपत्ति मिल चुकी थी। उसके पास अब समझौते को तोड़ने का हर कारण था। रिया का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। उसे डर था कि वह उसे खो देगी, उस इंसान को जिससे उसने चुपचाप प्यार करना सीख लिया था।

एक रात, वरुण रिया के कमरे में आया। "रिया," उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक अनजानी सी गंभीरता थी। "हमारे छह महीने पूरे होने वाले हैं। तुम अब आज़ाद हो।"

रिया की आँखों में आँसू आ गए। वह कुछ कह नहीं पा रही थी। उसका दिल चीख रहा था कि वह उसे रोके, पर उसके शब्द उसके गले में अटक गए थे।

वरुण ने उसे देखा, और उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई। "लेकिन... मुझे लगता है कि मैं अब आज़ाद नहीं होना चाहता।" उसने रिया का हाथ अपने हाथ में लिया। "ये रिश्ता एक समझौते से शुरू हुआ था, रिया। मैं बहुत स्वार्थी था। मैंने कभी तुम्हारे बारे में नहीं सोचा। लेकिन पिछले कुछ महीनों में, तुमने मुझे वो सब सिखाया है जो मैं पैसों से नहीं खरीद सकता था।"

उसने रिया की आँखों में देखा। "मैं जानता हूँ मैंने कभी खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन मुझे तुमसे... प्यार हो गया है, रिया। यह अनकही मोहब्बत है, जिसे अब मैं कहना चाहता हूँ। क्या तुम... क्या तुम इस बंधन में मेरे साथ रहना चाहोगी? हमेशा के लिए?"

रिया की आँखों से खुशी के आँसू बह निकले। उसने सिर हिलाकर हाँ कर दी। उस पल, उन्हें एहसास हुआ कि उनकी कहानी एक सौदे से शुरू हुई होगी, लेकिन अब यह प्यार और विश्वास के एक ऐसे अटूट बंधन में बदल चुकी थी, जहाँ हर अनकही बात अब कही जा चुकी थी। उनका रिश्ता, जो कभी एक समझौता था, अब उनके दिलों का सच्चा बंधन बन चुका था।

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