खरगोश और पानी की बूंद - Khargosh Aur Pani Ki Boond
एक छोटे से जंगल में एक तेज़-तर्रार खरगोश रहता था। उसका नाम चिंकी था। चिंकी बहुत ही खुशमिजाज और आत्मविश्वासी था, लेकिन उसे अपनी तेज़ दौड़ के अलावा किसी चीज़ का ज्यादा ज्ञान नहीं था। एक दिन जंगल में बड़ी गर्मी पड़ रही थी। सभी जानवर सूरज की तपिश से परेशान थे। चिंकी ने सोचा, "मैं तो जंगल में सबसे तेज़ दौड़ता हूँ, तो क्यों न मैं पानी की तलाश में सबसे पहले पहुँच जाऊं?"

वह तेज़ी से दौड़ते हुए जंगल के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँचने लगा, लेकिन कहीं भी पानी नहीं मिला। वह प्यास से तड़प रहा था, लेकिन उसे कहीं भी राहत का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था। चिंकी निराश हो गया और एक छोटे से बृक्ष के नीचे बैठ गया। तभी उसकी नज़र एक छोटी सी पानी की बूंद पर पड़ी, जो एक पत्ते से गिरकर ज़मीन पर आ रही थी।
चिंकी ने पानी की बूंद को देखा और सोचा, "यह तो बहुत छोटी सी बूंद है, क्या इससे मेरी प्यास बुझ पाएगी?" लेकिन उसने अपनी सोच को साइड में रखा और बूंद को चूसा। जैसे ही उसने पानी पी लिया, उसे ताजगी का एहसास हुआ। उसकी प्यास धीरे-धीरे शांत होने लगी।
कुछ देर बाद, एक तितली आई और चिंकी से पूछा, "क्या तुम पानी से संतुष्ट हो गए हो, चिंकी?" चिंकी हंसी और बोला, "मैं तो समझ ही नहीं पा रहा था कि इतनी छोटी सी बूंद से मेरी प्यास बुझ सकती है।"
तितली मुस्कुराते हुए बोली, "तुमने यह समझ लिया कि कभी-कभी छोटी चीज़ें बड़ी समस्याओं का हल देती हैं। ठीक वैसे ही जैसे तुम अपनी तेज़ दौड़ को ही सब कुछ समझते थे, लेकिन छोटी सी बूंद ने तुम्हारी प्यास बुझा दी। जीवन में हमेशा छोटी-छोटी चीज़ों की अहमियत समझनी चाहिए।"
चिंकी को यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण लगी। उसने महसूस किया कि जीवन में केवल बड़ी चीज़ें ही नहीं, बल्कि छोटी छोटी चीज़ों से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
"खरगोश और पानी की बूंद - Khargosh Aur Pani Ki Boond" हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी छोटी चीज़ों में ही सबसे बड़ी अच्छाई छुपी होती है। हम हमेशा बड़ी चीज़ों के पीछे दौड़ते रहते हैं, लेकिन अगर हम अपनी सोच को थोड़ी देर के लिए धीमा करें, तो हमें छोटी-छोटी चीज़ों में भी बड़ी खूबसूरती और राहत मिल सकती है।
इस कहानी से यह भी समझ में आता है कि जीवन में संतुलन रखना ज़रूरी है, और छोटी सी मदद भी किसी बड़ी समस्या का समाधान कर सकती है।
तो, क्या आप भी छोटी चीज़ों को महत्व देने के लिए तैयार हैं?
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