ईमानदार लकड़हारा - Imaandar Lakadhara
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा रहता था। उसका नाम रामु था। वह बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। रामु का जीवन बहुत साधारण था, लेकिन उसकी ईमानदारी और मेहनत के कारण सभी गाँववाले उसे बहुत सम्मान देते थे। रामु जंगल में लकड़ी काटने जाता था और उसे गाँववालों को बेचकर अपनी रोज़ी-रोटी कमाता था। वह कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलता था और न ही किसी को धोखा देता था।

एक दिन, जब रामु जंगल में लकड़ी काट रहा था, उसका कुल्हाड़ी अचानक नदी में गिर गया। रामु बहुत परेशान हुआ क्योंकि वह अपनी कुल्हाड़ी के बिना घर लौट नहीं सकता था। वह नदी के किनारे बैठकर सोचने लगा, "अगर मेरी कुल्हाड़ी खो गई है, तो मुझे एक नई कुल्हाड़ी खरीदने के लिए बहुत पैसे चाहिए होंगे। मैं कैसे यह सब करूंगा?"
रामु बहुत चिंतित था, लेकिन उसने तय किया कि वह झूठ बोलकर या चोरी करके कोई समाधान नहीं निकालेगा। उसने ईमानदारी से काम करने का फैसला किया। रामु नदी में उतरकर अपनी खोई हुई कुल्हाड़ी को ढूंढने लगा। घंटों की मेहनत के बाद, अचानक उसकी नजरें एक सुनहरी कुल्हाड़ी पर पड़ीं। उसने वह कुल्हाड़ी उठाई, लेकिन उसने सोचा, "यह तो किसी और की हो सकती है। मुझे अपनी कुल्हाड़ी ही चाहिए।"
रामु ने नदी में फिर से खुदाई की और इस बार उसे अपनी कुल्हाड़ी मिल गई। वह खुशी से कूद पड़ा, लेकिन अचानक नदी के देवता ने उसे बुलाया और कहा, "रामु, तुम इतने ईमानदार हो कि मैं तुम्हें एक तोहफा देना चाहता हूँ। तुम्हें यह सुनहरी कुल्हाड़ी रखनी चाहिए।"
रामु ने सिर झुकाकर देवता से कहा, "मुझे नहीं चाहिए। मेरी खुद की कुल्हाड़ी मुझे बहुत प्यारी है, और मैं किसी का सामान नहीं ले सकता।"
देवता ने रामु की ईमानदारी देखकर उसे एक और तोहफा दिया – एक चांदी की कुल्हाड़ी। लेकिन रामु ने उस कुल्हाड़ी को भी नकार दिया और कहा, "मुझे मेरी लकड़ी काटने की पुरानी कुल्हाड़ी चाहिए, क्योंकि वही मेरे काम आती है।"
देवता बहुत खुश हुआ और रामु को न केवल उसकी पुरानी कुल्हाड़ी लौटाई, बल्कि एक सोने की कुल्हाड़ी भी उसे दी। अब रामु को जंगल में लकड़ी काटने के लिए किसी और कुल्हाड़ी की जरूरत नहीं थी, लेकिन उसकी ईमानदारी ने उसे सोने की कुल्हाड़ी भी दिला दी।
रामु गाँव में वापस आया और उसकी ईमानदारी की कहानी सबको सुनाई। गाँववाले हैरान थे कि एक साधारण लकड़हारे को इतनी बड़ी इनाम मिली। अब रामु को सब आदर्श मानने लगे। वह न केवल एक मेहनती लकड़हारा था, बल्कि एक सच्चे इंसान का प्रतीक बन चुका था।
"ईमानदार लकड़हारा - Imaandar Lakadhara" की कहानी हमें यह सिखाती है कि ईमानदारी और मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। रामु की तरह अगर हम अपने काम में ईमानदारी दिखाएं, तो सफलता और सम्मान हमारे पास जरूर आएगा।
क्या आप भी रामु की तरह अपनी ईमानदारी को अपनी ताकत बनाने के लिए तैयार हैं?
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