गधा और चालाक सियार - Gadha Aur Chalaak Siyar
एक घने जंगल के किनारे एक गधा, जिसका नाम मोती था, और एक चालाक सियार, जिसका नाम झल्ली था, रहते थे। गधा स्वभाव से सरल और मेहनती था, लेकिन थोड़ा मूर्ख भी। दूसरी ओर, सियार चालाक और स्वार्थी था। वह हमेशा ऐसे मौके ढूंढता रहता था, जिससे उसे बिना मेहनत के फायदा हो सके।

मोती और झल्ली की दोस्ती
एक दिन, झल्ली ने गधे मोती को देखा और सोचा, "यह गधा मेरी मदद कर सकता है। अगर इसे अच्छी बातों में उलझाऊं, तो मैं इसका फायदा उठा सकता हूँ।" उसने गधे से दोस्ती कर ली और मीठी-मीठी बातें करके उसका भरोसा जीत लिया।
एक दिन, झल्ली ने मोती से कहा, "मोती भाई, जंगल के दूसरी ओर एक खेत है, जहाँ बहुत ही मीठी और हरी-भरी घास उगी हुई है। वहाँ चलकर ताजी घास खाएंगे और मज़े करेंगे।" मोती यह सुनकर बहुत खुश हो गया।
चालाक सियार की योजना
झल्ली को पता था कि वह खेत एक किसान का था, और वहाँ जाना खतरनाक हो सकता है। लेकिन सियार ने यह बात गधे से छुपा ली। झल्ली की योजना थी कि मोती खेत में घास खाएगा और अगर किसान आ गया, तो वह भाग जाएगा, लेकिन गधा अपनी मूर्खता के कारण पकड़ा जाएगा।
गधे का गाने का शौक
जब दोनों खेत में पहुंचे, तो मोती ने हरी-भरी घास देखी और चाव से खाना शुरू कर दिया। वहीं झल्ली अपनी भूख मिटाने के लिए खेत के पास छुपकर मुर्गियों की ताक में था। अचानक गधे ने खुश होकर कहा, "वाह, यह घास कितनी स्वादिष्ट है! अब मुझे गाना गाने का मन कर रहा है।"
झल्ली यह सुनकर डर गया। उसने गधे से कहा, "अरे मोती भाई, अभी गाने का समय नहीं है। अगर तुम गाना गाओगे, तो किसान जाग जाएगा और हमें पकड़ लेगा।" लेकिन मोती अपनी जिद पर अड़ा रहा। उसने कहा, "भाई, खुशी के पल में गाना तो बनता है।"
किसान की वापसी
झल्ली ने मोती को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन गधे ने उसकी एक न सुनी और जोर-जोर से रेंकने लगा। उसकी आवाज सुनकर किसान जाग गया और लाठी लेकर खेत की ओर दौड़ा। झल्ली तो पहले ही भाग खड़ा हुआ, लेकिन गधा पकड़ा गया। किसान ने गधे को सजा दी और उसे खेत से भगा दिया।
सबक
गधा घायल अवस्था में जंगल लौटा और झल्ली को ढूंढने लगा। उसने सियार से कहा, "तुमने मुझे यह नहीं बताया कि यह खेत किसान का है। तुम्हारी वजह से मैं मुसीबत में फंस गया।" इस पर झल्ली मुस्कुराकर बोला, "मैंने तुम्हें गाना गाने से मना किया था, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी। खुश रहना अच्छी बात है, लेकिन मूर्खता करना नुकसानदायक हो सकता है।"
कहानी से सीख
"गधा और चालाक सियार - Gadha Aur Chalaak Siyar" हमें यह सिखाती है कि अपने काम में बुद्धिमानी और समझदारी जरूरी है। मूर्खता और जिद कभी-कभी बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। साथ ही, हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी पर भी आँख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए।
तो, समझदारी से काम लीजिए और सियार जैसे चालाक लोगों से सतर्क रहिए!
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